सत्यम् लाइव, दिल्ली। हिन्दी में पर्यायवाची शब्द होनेे पर भी उनका अर्थ अलग अलग निकलता हैै उसी तरह से राष्ट्रीयता और नागरिकता दो अलग अलग शब्द है परन्तु सामान्यता ये शब्द समानर्थक के रूप में आज जाने जाते हैं। नागरिकता से सम्बन्धित संविधान से समझे तो संविधान के द्वितीय भाग के अनुच्छेद 5 से 11 तक 5 नियम बताये गये हैं।
किसी क्षेत्र विशेष के अधिकरण केे आधार पर, पंजीकरण के आधार पर, प्राकृतिक रूप से, वंश के आधार पर, जन्म के आधार पर
नागरिकता की परिभाषा है कि ”किसी व्यक्ति को किसी भी देश की नागरिकता दी जा सकती है वशर्ते वो कानूनी औपचारिकताओं केे अनुपालन की पूर्ति कर चुका हो। यह कार्य उस देश की सरकार करेगी और उस नागरिकता के आधार पर उसकी जन्म भूमि का पता नहीं लगाया जा सकता।” अन्तराष्ट्रीयता के अनुसार हर देश अपने कानून के हिसाब से तय कर सकता है कि कौन उस देश का नागरिक होगा।
जब कोई व्यक्ति िकिसी देश का नागरिक बन जाता है तो उसे उस देश के राष्ट्रीय आयोजनों जैसे वोट डालने, नौकरी पाने, जमीन खरीदनेेे, व्यापार करने तथा चुुुुुनाव लडने का अधिकार प्राप्त हो जाता हैैै। साथ ही भारतीय नियम के अनुसार टैक्स देने, गौ माता का सम्मान, भारतीय रूपयों का सम्मान, राष्ट्रगान का सम्मान, महिलाओं का सम्मान और जरूरत पडने पर देश की रक्षा लडना पड सकता है।
राष्ट्रीयता की परिभाषा है कि ”जिस भूमि पर व्यक्ति का जन्म हुआ हो उसी भूमि पर उसकी राष्ट्रीयता होगी तथा एक राष्ट्र्र अपने नागरिक को विदेशी आक्रमण से सुरक्षा प्रदान करेगा। जिसके बदले मेें नागरिक से यह उम्मीद की जाती हैै कि राष्ट्र की सुरक्षा का पूरा दायित्व पूरा करके कर्तव्यों का पालन करेगा।
राष्ट्रीयता और नागरिकता में अन्तर क्या है ये महज प्रश्न बनता है इस पर सीधा सा अन्तर पता चलता है कि राष्ट्रीयता देश की सभ्यता और संस्कृति देती है जबकि नागरिकता राजनीतिक और कानूूूूनी प्रक्रिया है।
भारत में धर्म के आधार पर फैसले होते आये हैं जबकि नागरिकता कानून के तहत पर होती हैै और धर्म के दस लक्षण बताये गये हैं जो उनको धारण करे वो धार्मिक कहा जाता है और नागरिकता का आधार न धर्म है न पंथ। राष्ट्रीयता का सीधा सम्बन्ध जन्मस्थल से है जबकि नागरिकता विरासत, विवाह के आधार पर दी जाती हैैै।
राष्ट्रीयता कभी नहीं बदलती है एक व्यक्ति के पास एकही देश की राष्ट्रीयता हो सकती हैै परन्तु नागरिकता एक से अधिक देशों की हो सकती है। राष्ट्रीयता छिनी भी नहीं जा सकती है परन्तु नागरिकता छीनी जा सकती है। अभी तक भारत के संविधान में नियम है कि यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे देश की नागरिकता स्वीकार कर लेता हैै तो उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जायेगी।
अत: राष्ट्रीयता भगवान के द्वारा तय की जाती है और नागरिकता सरकार के द्वारा।
सुनील शुक्ल उपसम्पादक
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