
सत्यम् लाइव, 17 मार्च 2021, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 की ताजा स्थिति पर विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग की। इस मीटिंग में मुख्यमंत्रियों ने कोविद के खिलाफ लड़ाई में प्रधानमंत्री के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने पूरे देश में टीकाकरण अभियान के सुचारु कार्यान्वयन के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया, साथ ही टीकाकरण कवरेज को और विस्तारित करने के लिए अपने सुझाव भी दिए।
आम जनता में कोविड के उचित व्यवहार को बनाए रखने की चुनौती पर भी चर्चा की गई, हाल ही में कुछ राज्यों में मामलों की संख्या में वृद्धि के कारण मुख्यमंत्रियों ने स्थिति की अधिक सतर्कता और निगरानी की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की।
गृह मंत्री ने उन जिलों को सूचीबद्ध किया जिन पर मुख्यमंत्रियों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है, ताकि वायरस के प्रसार को रोका जा सके। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने देश में मौजूदा कोविड की स्थिति और टीकाकरण रणनीति पर एक प्रस्तुति दी।
मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि भारत में 96% से अधिक मामले आए और भारत दुनिया में सबसे कम मृत्यु दर वाला देश है। उन्होंने महाराष्ट्र, एमपी, पंजाब और महाराष्ट्र में बढ़ते मामलों में उच्च परीक्षण सकारात्मकता दर के बारे में चिंता व्यक्त की। देश के 70 जिलों में पिछले कुछ हफ्तों में 150 प्रतिशत वृद्धि देखी गई। उन्होंने कोरोना की इस उभरती हुई “लहर” को तुरंत बंद करने का आग्रह किया और चेतावनी दी कि अगर हम इस बढ़ती महामारी को अब नहीं रोकते हैं, तो देश व्यापी प्रकोप हो सकता है।
कोरोना की इस उभरती “लहर” को रोकने के लिए, प्रधानमंत्री ने त्वरित और निर्णायक कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने स्थानीय शासन की समस्याओं को हल करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हमारी उपलब्धियों से जो आत्मविश्वास आया, वह लापरवाही में नहीं बदलना चाहिए। उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि जनता को आतंक की स्थिति में नहीं लाया जाना चाहिए और साथ ही मुसीबत से भी छुटकारा दिलाया जाना चाहिए। उन्होंने हमारे प्रयासों में, हमारे पिछले अनुभवों को शामिल करके रणनीति बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रधानमंत्री ने सूक्ष्म नियंत्रण क्षेत्रों के प्रावधान की आवश्यकता पर ध्यान दिया। उन्होंने ‘टेस्ट, ट्रैक एंड ट्रीट’ के बारे में गंभीर होने की जरूरत पर जोर दिया, जैसा कि हम पिछले एक साल से कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क को कम से कम समय में ट्रैक करना और आरटी-पीसीआर परीक्षण दर को 70 प्रतिशत से ऊपर रखना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने उन राज्यों में आरटी-पीसीआर परीक्षणों पर जोर दिया, जो केरल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और यूपी जैसे रैपिड एंटीजन परीक्षणों को अधिक बल देते हैं।
प्रधानमंत्री ने परीक्षण बढ़ाने और छोटे शहरों में “रेफरल सिस्टम” और “एम्बुलेंस नेटवर्क” पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि अब पूरा देश यात्रा के लिए खुल गया है और यात्रा करने वालों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने आपस में जानकारी साझा करने के लिए एक नए तंत्र की आवश्यकता पर जोर दिया। इसी तरह, विदेश से आने वाले यात्रियों के संपर्कों की निगरानी के लिए एसओपी का पालन करने की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है।
प्रधान मंत्री ने टिप्पणी की कि हमें कोरोनावायरस के म्यूटेंट की पहचान करने और उनके प्रभावों का आकलन करने की आवश्यकता है। उन्होंने देश में टीकाकरण की लगातार बढ़ रही गति और एक ही दिन में टीकाकरण की दरों को 3 मिलियन से अधिक पार करने की सराहना की। लेकिन साथ ही उन्होंने टीके की खुराक की समस्या को बहुत गंभीरता से लेने की चेतावनी दी। उन्होंने नोट किया कि तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में वैक्सीन की बर्बादी 10 प्रतिशत है। उन्होंने टीके के कचरे को कम करने के लिए स्थानीय स्तर पर योजना और शासन की कमियों को तुरंत ठीक करने का आग्रह किया।
प्रधान मंत्री ने कहा कि उपरोक्त कदमों के साथ-साथ इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए बुनियादी कदमों में मास्क पहनना, शारीरिक दूरी बनाए रखना, स्वच्छता का ध्यान रखना आदि शामिल हैं। उन्होंने आग्रह किया कि इस तरह के कदमों में कोई ढिलाई न बरती जाए और लोगों की जागरूकता बढ़ेगी। इन विषयों पर उठाया जाना चाहिए। उन्होंने टीकाकरण केंद्रों की संख्या बढ़ाने का आह्वान किया और टीका समाप्ति की तारीख के बारे में सतर्क रहने को कहा। प्रधानमंत्री ने “दवाई भी और कड़ाई भी” पर जोर दिया।
नीरज दुबे – संवाददाता
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