धर्मगुरुओं की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं से मुक्ति मिले
आज धर्म एवं धर्मगुरु का व्यवहार एवं जीवनशैली न केवल विवादास्पद बल्कि धर्म के सिद्धान्तों के विपरीत हो गयी है। नैतिक एवं चरित्रसम्पन्न समाज बनाने का नारा देकर तथाकथित धर्मगुुुरुओं ने अपने भौतिक एवं आर्थिक साम्राज्य के विस्तार के लिये अशांति, अपवित्रता, असन्तुुुुुुुलन एवं अंधकार को फैलाया है। राजनीति की […]