
”कोई भी हो शेख नमाजी, या पंडित जपता माला, बैर भाव चाहे जितना हो, मदिरा से रखने वाला, एक बार बस मधुशाला के आगे से होकर निकले, देखूँ कैसे थाम न लेती, दामन उसका मधुशाला।”
सत्यम् लाइव, 6 मई 2020 दिल्ली।। शराब की दुकानों को खुलवाने का जो आदेश सरकार ने दिया है उसके कारण सोशल मीडिया पर सरकार पर जो व्यग्य लिखे जा रहे है उससे ये प्रसन्नता पूर्वक कह सकते हैं कि अभी भी भारत भूमि पर, भारत के पर्यावरण और प्रकृति के जानकार हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश, कि अपनी अभिव्यक्त व्यक्त करने की स्वतंत्रता जनता पास है तो जागरूक जनता इस भीड़ में नहीं है ये और उत्तम भविष्य का सूचक भी है, पर मेरा भी व्यग्य उनके प्रति है जो नाराज हैं और उन्हें भी हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला से कुछ सीख लेनी चाहिए। वच्चन जी लिखते हैं कि ”कोई भी हो शेख नमाजी, या पंडित जपता माला, बैर भाव चाहे जितना हो, मदिरा से रखने वाला, एक बार बस मधुशाला के आगे से होकर निकले, देखूँ कैसे थाम न लेती, दामन उसका मधुशाला।” क्योंकि इस बार स्त्री ने भी अपना शराब की दुकान के सामने लाइन में दिखकर, देश के राजस्व बढ़ाने का दायित्व निभाया है अब स्त्री ने भी दिखाया है कि स्त्री वो स्त्री नहीं रही जो घर के अन्दर पल्लू डालकर रसोई में लगी रहती है अब स्त्री हर क्षेत्र में देश की आर्थिक सहयोग करने पहुँच रही है आप कहोगे कि वो अपने पापा या घर वाले के लिये लेने गयी है, जी नहीं! मैनें स्वयं अशोक नगर, शाहदरा पुल के नीचे उसे पीते हुए देखा है और ये एक मात्र जगह की बात बता रहे हैं और उस पर भी नाराज कुछ आर्थिक अचिन्तक सोशल मीडिया व्यग्य कर रहे हैं जरा देखें क्या है वो व्यग्य –

- अर्थव्यवस्था को ठीक करेगें अब शराब पीकर।
- कोरोना अब तु हारेगा, इतनी पियेगें कि तेरा होश ही नहीं रहेगा, फिर तु तो शर्म से ही मर जायेगा।
- हे बेशर्म! कोरोना तुझे हराने के लिये सरकार ने भैरव बाबा पर प्रसाद लगवाया है।
- जमकर पियेगा, तभी तो बढ़ेगा, इण्डिया!
- टंकी में घोलगें, दिन-रात पियेगें।
- शराब के साथ, ज्वैलरी शाॅप भी खुलती, तो बीबी के जेवर बेचकर सारे परिवार को पिलाते।
- खाना छोड़ो, दारू पियो, अभियान में आप मेरे साथ हैं क्या ?
- तभी ज्यादा जीयोगे, जब जमकर पियोगे।
- कोरोना को हराना है तो दारू को सबको पिलाना है।
- एक तीर से तीन शिकार! ‘‘अन्दर से सेनेटाइज और बाहर से सेनेटाइज, राजस्व भी आयेगा।”
- जब कोई शराब लेने निकले तो उसका स्वागत ताली, थाली, दीप जलाकर तथा फूलों से उसका उत्साहवर्धन करें क्योंकि वो राजस्व बढ़ाने में मदद कर रहा है।
- 45 दिन शराबी ने शराब न पीकर ये दिखा दिया, कि बिना शराब के हम जीवित रह सकते हैं परन्तु सरकार ने ठेके खोलकर ये दिखा दिया कि सरकार बिना हमारे (शराबी) के बिना जीवित नहीं रह सकती।
- जिसके कंधे पर पूरी देश की अर्थव्यवस्था का जिम्मा हो उसके पीने के बाद तो पैर लड़खड़ायेगें ही।
- ‘‘हर हर शराब, घर घर शराब’’
पत्रकार मन्सूर आलम
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