सत्यम् लाइव 21 जून 2020, दिल्ली।। 21 जून 1955 को कहते हैं कि ऐसा ही सूर्य ग्रहण पडा था ये बडे सौभाग्य की बात है कि फिर से मिथुन राशि पर ही रहते हुए इसने सालों बाद फिर सूर्य ग्रहण पडा है आज सूर्य देव को अपने कैमरे में कैद करने में इतना तो कामयाब रहा परन्तु बादल के साथ लुका-छुपी खेलते सूर्य देव को उस अंश को कैमरे में कैद नहीं कर पाया है जिसे सौर कोरोना कहते हैं। सौर कोरोना:- सूर्य की त्रिज्या को इसके केन्द्र से लेकर प्रभामण्डल के किनारे तक को कहा जाता है। सूर्य के बाहरी क्षेत्र पर प्रभामण्डल की अन्तिम परत दिखती है इससे भी बाहरी क्षेत्र को नग्न ऑखों से देखा जा सकता है सामान्यतया सूर्य की तरफ देखना बहुत मुश्किल होता है परन्तु पूूर्ण सूूूूर्ययग्रहण केे दाैरान जब प्रभामंडल को चन्द्रमा द्वारा पूूूूरा ढक लिया जाता है जिसे पूर्ण सूूूूर्ययग्रहण का समय कहा जाता है उस समय जो बाहरी सिरे से सूर्य की रोशनी निकलती है उसे सौर कोरोना कहते हैं। आज सौभाग्य इस बात का भी प्राप्त हुआ कि स्वामी दयानन्द सरस्वती के चरणों में बैठकर, महान गणितज्ञ आर्यभट्ट केे दिशा निर्देश के अनुसार सूर्य ग्रहण को समझने का अवसर प्राप्त हुआ।
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सुनील शुक्ल
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