
सत्यम् लाइव, 5 नवम्बर 2020, दिल्ली।। नोविल कोरोना के दौरान दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों के माध्यम से हो रही ऑनलाइन कक्षा के लिए फीस एक बहुत बडी समस्या बन चुकी है। पिछले कई महीनों से फीस नहीं मिलने के कारण अब कई स्कूलों का कहना है कि बिना फीस लिए, ऑनलाइन कक्षा चलाना बहुत मुश्किल है। डी.डी.ए. भूमि पर बने स्कूलों को 50% से लेकर 70% शिक्षार्थी हैं जबकि प्राइवेट भूमि पर चल रहे स्कूलों को 20-25% अभिभावक से ही ट्यूशन फीस मिल रही है। इस संबंध में दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों के बड़े एसोसिएशन-अनऐडेड रिकग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स की एक्शन कमिटी की 9 नवंबर को मीटिंग है हालांकि, अनऐडेड रिकग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स की एक्शन कमिटी के सेक्रेटरी भरत अरोड़ा का कहना है, इस मसले पर 9 नवंबर को एक्शन कमिटी की कई स्कूल एसोसिएशन के साथ मीटिंग होगी। अब प्राइवेट स्कूलों को खर्चे को देख निर्णय करेगें कि ऑनलाइन कक्षा जारी रखी जाएं या नहीं। तो वहीं प्राइवेट लैंड पब्लिक स्कूल्स ट्रस्ट के नैशनल जनरल सेक्रेटरी चंद्रकांत सिंह कहते हैं कि 7 नवंबर को हमारी मीटिंग है। हो सकता है कि हम भी ऑनलाइन क्लासेज बंद करने या नवंबर में आंदोलन को लेकर फैसला लें। सरकार को शिक्षा के लिए आर्थिक मदद देनी चाहिए, क्योंकि इस व्यवस्था से गरीब बच्चेें फीस भरकर नहीं पायेगें। साथ ही ये भी कहना है कि अगर प्राइवेट स्कूलों में ईडब्ल्यूएस/डीजी (इकनॉमिकली वीकर सेक्शन/डिसएडवांटेज ग्रुप) कैटिगरी के स्टूडेंट्स की फ्री पढ़ाई के लिए सरकार पेंडिंग फंड, अगर जारी कर दे, तो आधे से ज्यादा स्कूलों की परेशानी कम हो जाएगी। इसे लेकर मंगलवार को एक्शन कमिटी ने शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों से मुलाकात भी की। एक्शन कमिटी के सेक्रेटरी भरत अरोड़ा कहते हैं कि सरकार जल्द बकाया 90 करोड़ का ईडब्ल्यूएस रीइम्बर्स्मेन्ट जारी कर दे तो कई स्कूलों की मुश्किलें आसान होंगी। यह राशि सैक्शन हो गई है। सरकार ने सितंबर में 2018-20 के लिए स्कूलों को बकाया 150 करोड़ रुपये जारी किए थे, जिससे कई स्कूलों को कुछ राहत मिली।एफोर्डेबल प्राइवेट स्कूल्स असोसिएशन (एप्सा) के प्रेसिडेंट लक्ष्य छाबड़िया कहते हैं कि ऑनलाइन क्लासेज बंद करने पर हमने कोई फैसला नहीं लिया है मगर सरकार को स्कूलों को पिछले कई साल से बकाया ईडब्ल्यूएस कोटे का बकाया करीब 450-500 करोड़ रुपए तुरंत जारी करना चाहिए, जिससे कि महामारी के दौरान भी ये खड़े रह सकें। बजट स्कूलों की हालत फीस ना मिलने से बदतर हो चुकी है।
सुनील शुक्ल
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