हकलाना कोई बीमारी नहीं – डॉक्टर मुरली सिंह (वरिष्ठ स्पीच थैरेपिस्ट)

सत्‍यम् लाइव, 17 जनवरी 2021, दिल्ली : स्पीच थेरेपी से दूर होता है हकलाना डॉ. मुरली सिंह वरिष्ठ स्पीच थैरेपिस्ट | दिल्ली अगर आप किसी से बात करते वक्त हकलाते हैं और लोग आपके हकलाने के कारण को हंसी का पात्र बनाते हैं तो समझिए डॉक्टर मुरली सिंह आपको इस परेशानी का कारगर उपाय व इसका सफल इलाज बताने जा रहे हैं वास्तविक हकलाना कोई बीमारी नहीं है यह तो सिर्फ एक तरीके का वाक दोष होता है जिसको अगर हम सही तरीके से अभ्यास से दूर किया जा सकता है रणबीर कपूर और कैटरीना कैफ की फिल्म जग्गा जासूस में रणबीर कपूर को हकलाते दिखाया गया फिल्म तो खैर फिल्म होती है लेकिन हम इसको अगर असली जिंदगी में इसकी समस्या को आसानी से छुटकारा पा सकते हैं

बस सिर्फ आपको स्पीच थैरेपिस्ट की मदद से जो वह प्रतिदिन की प्रैक्टिस बताएं अगर उसको ठीक प्रकार से किया जाए तो हकलाने की समस्या का छुटकारा बहुत ही आसानी से समाप्त किया जा सकता है जैसे ही हम किसी के सामने आते है सामने वाला हमें एक अलग प्रकार से इस प्रकार से देखता है कि जैसे वे हमें घूर रहा हो या मजाक उड़ाने लगता है और ऐसे में किसी का भी आत्मविश्वास डगमगा जाता है लोग कई बार खुद को ही मैं आपको हीन समझने लगते हैं और लोगों का सामना करने में परेशानी करने लगते हैं हकलाने के कारण लोग अपनी जिंदगी को बोझ समझने लगते हैं वास्तविक यह कोई बीमारी ही नहीं बल्कि आसान शब्दों में अगर हम कहें तो एक गलत आदत है जिसे आसानी से छुटकारा मिल सकता है अगर इसको दूर करने की कोशिश नहीं की जाती तो यह हमारे दिलों दिमाग पर हावी होती चली जाती है स्पीच थेरेपी आपकी समस्या का आसान उपाय हैं पिछले 25 सालों से हम इसका सफलतापूर्वक इस्तेमाल कर रहे है और हमने करीब हजारों इस प्रकार की परेशानी से संबंधितों को ठीक क्या है जो आज पूरी तरह से अपनी जिंदगी को आसानी से और सामान्य रूप से व्यतीत कर रहे हैं

डॉक्टर मुरली सिंह वरिष्ठ स्पीच थैरेपिस्ट से आसान तरीके से समझिए-
हकलाहट का कोई एक कारण नहीं होता है यह हमारे परिवार में तनाव और अस्वस्थ वातावरण के कारण हो सकता है यह किसी भी बीमारी के बाद भी शुरू हो सकता है जैसे कि बच्चा अपने परिवार के लोगों को देखकर ही बोलना सीखता है और अगर परिवार में कोई हकलाने वाला सदस्य है तो जाहिर ही है बच्चे पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा या हमारे आस- पड़ोस में कोई हकलाने वाला बच्चा है तो उसका भी बच्चे पर प्रभाव पड़ेगा हालांकि यह जरूरी नहीं कि बच्चा हकलाए ही लेकिन इसकी आशंका से हम इंकार भी नहीं कर सकते हकलाना कोई अनुवांशिक लक्षण भी नहीं होता है डॉक्टरों की परिभाषा में इसे साइको सोमेटिक फैक्टर या साइको फीयर कहते हैं लोग हकलाना शुरू कर देते हैं वैसे आपको बता दें की हकलाहट सबसे खतरनाक तब होती है जब शख्स किसी हकलाने वाले शख्स की नकल करने लगता है तेज बुखार से शुरू हो सकता है तेज बुखार से जैसे टाइफाइड मेनिनजाइटिस (दिमागी बुखार )होने के बाद भी बच्चे कई बार हकलाने लगते हैं कुछ मनोवैज्ञानिक कारणों से भी बच्चों की वाक क्षमता पर बुरा असर पड़ता है कई बार देखा गया है कि बच्चे घरेलू झगड़े, घर में बच्चों की पिटाई पढ़ाई और अच्छे नंबर लाने के कारण भी जो ज्यादा प्रेशर में हकलाना शुरू कर देते हैं कई बार मां बाप बच्चों की पिटाई करते उनको इस प्रकार का दण्ड देते हैं जिससे बच्चा ऐसे माहौल में कई संवेदनशील बच्चों में रुक रुक कर डर कर बोलना शुरू कर देते हैं और आगे चलकर यह परेशानी हकलाने में बदल जाती है

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हकलाने की नकल करना सबसे खतरनाक माना गया है कई बार बच्चे अपने दोस्तों या पड़ोस में रहने वाले किसी हकलाने वाले शख्स की नकल करते हैं और परिवार के लोग बड़े चाव से सुनते रहते हैं यह सामान्य तौर पर 8 से 10 साल की उम्र के पहले होता है वास्तव में इस उम्र तक बच्चों की वाक क्षमता पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाती और हकलाने की नकल करने के कारण उनके अंदर इस प्रकार का विकार पैदा हो जाता है स्पीच थैरेपिस्ट मानते हैं कि कई बार बचपन में घटने वाली सामान्य सी दिखने वाली घटनाएं व्यक्तित्व निर्माण में असामान्य भूमिका अदा कर सकती है इस प्रकार के माता पिता बच्चों को स्वस्थय और भयमुक्त वातावरण देकर काफी हद तक वाक दोष से आसानी से बचा सकते हैं

हकलाना नहीं है अब लाइलाज स्पीच थेरेपी है इसका एक सफल इलाज | कुल मिलाकर यह तो एक बात साफ है कि हकलाना कोई बीमारी नहीं है सिर्फ एक बुरी आदत ही है और इसके इलाज के लिए चिकित्सा पद्धति की किसी भी प्रकार की दवा बिल्कुल भी नहीं होती है सिर्फ इसका एक ही मात्र उपाय है स्पीच थेरेपी यानी वाक चिकित्सक(Speech therapist) ही इसका एक कारगर और सफल इलाज कर पाते हैं यह बहुत कम समय में असरदार साबित होती है अगर इसको सही और नियमित रूप से किया जाए तो जो लोगों में भ्रांति फैली हुई है की हकलाना ठीक नहीं होता हकलाना आसानी से और आराम से पूर्ण रूप से ठीक हो सकता है कुछ लोगों में इस प्रकार की भी भ्रांति फैली हुई है कि हकलाना अपने एक समय के साथ आसानी से ठीक हो जाएगा परंतु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है और यह दिन प्रतिदिन बढ़ता ही चला जाता है सालों साल गुजर जाते हैं पर हकलाना समाप्त नहीं होता इसमें चिकित्सा पद्धति की किसी भी दवाई व अन्य माध्यम से हकलाने का कोई इलाज नहीं है सिर्फ- सिर्फ स्पीच थेरेपी एक ऐसा माध्यम है जो हकलाने के लिए रामबाण साबित होता है बस सिर्फ स्पीच थैरेपिस्ट के द्वारा नियमित रूप से जो अभ्यास कराने की प्रक्रिया बताई जाए उस को नियमित रूप से करते रहे बहुत ही आसानी से हकलाना ठीक हो सकता है आइए अगर आप किसी को हकलाने से संबंधित परेशानी है किसी भी अनुभवी स्पीच थैरेपिस्ट और आप सहमे और डरे हुए हैं उन सबसे निजात पाने के लिए स्पीच थेरेपिस्ट से मिले और अपना इलाज आरंभ करें हकलाना इस प्रकार से समाप्त हो जाएगा कि आपको कभी परेशानी थी भी या नहीं यह पता भी नहीं लगेगा दिल्ली एनसीआर से सैकड़ों हकलाने की समस्या से पीड़ित आए और ठीक होकर अपनी जिंदगी को हंसी खुशी निर्वाह कर रहे हैं हकलाना किसी भी आयु मैं क्यों ना हो पूर्ण रूप से ठीक हो सकता है इसकी किसी प्रकार की आयु की बाधा नहीं है|

डॉक्टर मुरली सिंह (वरिष्ठ स्पीच थैरेपिस्ट)

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