मोहिनी एकादशी पुण्य तिथि ”त्रिस्पृशा-एकादशी”

सत्यम् लाइव, 23 मई 2021 दिल्ली।। मोहिनी एकादशी में ‘त्रिस्पृशा’ का दुर्लभ संयोग इस बार बनने जा रहा है कहते हैं कि ऐसी एकादशी बडे भाग्य से ही मिलती है यह दिनांक 23-5-2021, दिन “रविवार” विक्रम संवत 2078 की वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी कही जायेगी। घर के सभी सदस्य यह एक दिन का व्रत अवश्य रह सकते हैं जिंदगी मेंं ऐसे अवसर बार-बार नहींं आता है। हर माह में दो बार एकादशी तिथि पड़ती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। वैशाख माह में शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा-अर्चना इस दिन की जाती है। पद्मपुराण के अनुसार यदि सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक थोड़ी सी एकादशी, द्वादशी, एवं अन्त में किंचित् मात्र भी त्रयोदशी हो, तो वह ‘त्रिस्पृशा-एकादशी’ कहलाती है।

एक ‘त्रिस्पृशा-एकादशी’ को उपवास कर लिया जाय तो एक सहस्त्र एकादशी व्रतों का फल (लगभग पुरी उम्र भर एकादशी करने का फल ) प्राप्त होता है । एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। इस पावन दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। ‘त्रिस्पृशा-एकादशी’ का पारण त्रयोदशी मे करने पर 100 यज्ञों का फल प्राप्त होता है । प्रयाग में मृत्यु होने से तथा द्वारका में श्रीकृष्ण के निकट गोमती में स्नान करने से, जो शाश्वत मोक्ष प्राप्त होता है, वह ‘त्रिस्पृशा-एकादशी’ का उपवास कर घर पर ही प्राप्त किया जा सकता है, ऐसा पद्मपुराण के उत्तराखण्ड में ‘त्रिस्पृशा-एकादशी’ की महिमा में वर्णन है।

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  • भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी करें, यदि हो सके तो व्रत भी करें
  • एक दिन पहले एवं एक दिन बाद द्वादशी तक नियमों का पालन करना चाहिए।
  • सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  • उपवास में तन, मन को संयम रखते हुए
  • चावल खान वर्जित माना जाता है इसलिए इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • क्रोध न करें और किसी के प्रति अपशब्दों का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।

सुनील शुक्ल

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