
- दिल्ली मुख्य मंत्री केजरीवाल नेे कहा- भूखेे की व्यवस्था सरकारी स्कूल में की है।
सत्यम् लाइव 1 अप्रैल 2020 दिल्ली। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिये पूरेे देश में लॉकडाउन किया गया है हलांकि इस लाॅॅॅकडाउन में सबसे ज्यादा मार मजदूरों, गरीबों और बेसहारा लोगों पर आयी है जो व्यक्ति दो वक्त की रोटी बडी मुशिकल से नसीब होती थी वो ही आज परेशान दिख रहे हैं आज नवरात्रि की अष्ठमी के दिन जगह जगह पर भण्डारे दिल्ली में होते हैं परन्तु आज अपने दिल को तसल्ली देने के लिये कुछ केले बॉटते हुए लोग नजर आयें जब उनसे पूछा तो ज्ञात हुआ नवरात्रि में कन्या खिलाई जाती है न जाने माता क्यों हम सबसे नाराज हो गई हैं ये विषय आस्था का है और महावैज्ञानिक भी है इसमें मुझे कोई शक नहीं है। ये बात मैं दयानन्द सरस्वती और महान गणितज्ञ आर्यभट्ट आशीष से कह रहा हॅॅू।

पंजाब, हरियाण, राजस्थान से चला मजदूर दिल्ली में प्रवेश किया व्यवस्था के रूप मेें सरकारी स्कूल में उनके रहने और भोजन का इन्तजाम दिल्ली सरकार नेे कराया है। पैदल चला मजदूर कितना मजबूर है कि ये बताने की आवश्यकता नहीं होती है परन्तु दिल्ली में भी ऐसा अभी भी बहुत बडी संख्या में वो दिहाडी मजदूर है जिसको पेट भर रोटी नहीं मिल रही है ऐसा ही मजदूर लोनी गोल चक्कर के पास रहता है जो प्रतिदिन कमाता खाता है उसकी मजबूरी ये है कि अब उसके पास कुछ भी काम नहीं है जो पैसेे कमा लेता था वो भी घर में बैठा है ये वही व्यक्ति है जो रोजमर्रा के जीवन को बडी कठिनाई से काट रहा है। बाहर से आये हुए मजदूर भूखे पेट 3 से 4 दिन की यात्रा करने को मजबूर हैं. दिल्ली में ऐसे ही मजदूरों ने अपनी आपबीती सुनाई उन्होंने बताया कि कैसे उनको लॉकडाउन के बाद गुरुग्राम से हापुड़ की यात्रा पैदल शुरू करनी पड़ी उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 3 दिनों से अनाज का एक दाना भी पेट में नहीं गया है रामकिशोर ऐसे ही मजदूरों में से एक हैं, जो हापुड़ में अपने गांव जा रहे हैं उनकेे कहना है कि पैरों में छाले पड़ गए हैं और तीन दिन से खाना तक नहीं मिला है। घर वापस जाने के लिए साधन नहीं है, इसलिए पैदल ही रास्ता तय करना पड़ रहा है।
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