जानिए शनि और हनुमान को कैसे करे प्रसन्न ज्येष्ठ के मास में

नई दिल्ली: इस साल शनि जयंती 15 मई, मंगलवार को पड़ रही है। जिन जातकों की राशि पर इस समय साढ़े साती चल रही है उनके पास यह अच्छा मौका है कि शनि भगवान और हुनमानजी को एक साथ प्रसन्न करने का। मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की पूजा करने से शनि के कोप से बचा जा सकता है। शनिदेव यदि रुष्ट हो जाएं तो राजा को रंक बना देते हैं और यदि प्रसन्न हो जाएं तो आम आदमी को खास आदमी बना देते हैं। माना जाता है कि जीवन में शनिदेव एक बार या किसी−किसी राशि में चार बार आते हैं। प्रथम बार तो इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन दूसरी बार में यह नींव हिला देते हैं और तीसरी बार भवन को उखाड़ फेंकते हैं तथा चौथी बार अच्छे खासे को बेघर कर देते हैं। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार को उनका विधिवत पूजन करना चाहिए। मान्यता है कि शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाया जाना चाहिए, इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनिवार के दिन पीपल को जल देने से भी शनिदेव को प्रसन्न किया जा सकता है।

अमावस्या तिथि

अमावस्या तिथि 14 मई को 19.46 पर शुरू होगी और 15 मई को 17 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी।

शनि जयंती और उसका महत्व

वैसे शनि जयंती यदि शनिवार को हो तो उसका महत्व और बढ़ जाता है लेकिन इस बार शनि जयंती 15 मई, मंगलवार को पड़ रही है। शनि जयंती पर शनि हमेशा वक्री रहता है। शनि धनु राशि में वक्री है। शास्त्रों के अनुसार, शनिदेव का जन्म सूर्य की पत्नी छाया से हुआ और मृत्यु के देवता यमराज शनिदेव के बड़े भाई हैं। आकाश मंडल में सौर परिवार के जो नौ ग्रह हैं, उनमें यह दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। कहा जाता है कि शनि का विवाह चित्ररथ की कन्या के साथ हुआ था। शनिदेव की पत्नी पतिव्रता और धार्मिक महिला हैं। शनिदेव भी भगवान के अनन्य भक्त हैं और भगवान के भजन और ध्यान में लीन रहते हैं।

Ads Middle of Post
Advertisements

इस तरह करें पूजन

इस दिन प्रात काल उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर शुद्ध हो जाएं। लकड़ी के एक पाट पर काला वस्त्र बिछा लें और उस पर शनिदेव की प्रतिमा या तस्वीर या फिर एक सुपारी रखकर उसके दोनों और शुद्ध घी व तेल का दीपक जलाएं। पंचगव्य, पंचामृत, इत्र आदि से शनि जी के इस रूप को स्नान करवायें और उसके बाद अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुमकुम व काजल लगाकर नीले या काले फूल अर्पित करें। इस दिन शनि भगवान को इमरती व तेल में तली वस्तुओं, श्रीफल आदि अर्पण करना चाहिए। शनि मंत्र की माला का जाप करना बेहद फलदायी होता है। इसके बाद शनि चालीसा का पाठ करें और फिर भगवान की आरती करें।

शनि जयंती पर ध्यान देने योग्य कुछ और बातें

-इस दिन हनुमान जी की भी पूजा करें।
-ब्रह्मचर्य का पूरी तरह से पालन करें।
-गरीब को तेल में बने खाद्य पदार्थ खिलाएं।
-गाय और कुत्तों को भी भोजन दें।
-जरूरतमंदों की मदद करें
-शनिदेव की प्रतिमा को देखते समय भगवान की आंखों में नहीं देखें।

अन्य ख़बरे

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*


This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.