नई दिल्ली, हमारी रसोई में अजवाइन पेट के रोग के अत्यन्न लाभकारी है, पाचन क्रिया को ठीक करने के लिए यह बहुत प्रसिद्व है, अजवाइन को बारीक पीसकर उस में थोडी मात्रा में हींग मिलाकर लेप बनाकर पेट पर लगाने से खटटी डकार आना बन्द हो जाती है, यदि गैस बनती है तो अजवाइन को थोडा सा काला नमक मिलकार भुंजकर खाने से गैस बनाना बन्द हो जाती है, सिर्फ एक चम्मच अजवाइन को गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से भी खटटी डकारे आना बन्द हो जाती है, यदि पेट में कीडे की शिकायत है तो अजवाइन के महीन चूर्ण को दिन में दो बार छाछ के साथ सेवन करने से पेट के कीडे समाप्त हो जाते हैं यदि जुकाम बहुत तेज है और छींके नहीं आ रही है तो अजवाइन को गरम करके मलमल के कपडे में बांधकर तवे पर गर्म करके सूंघने से छींके आकर जुकाम हल्का हो जाता है, जुकाम के कारण यदि सिर में पीडा है या कफ नासिका में रूक गया हो या मस्ितष्क में कीडे की शिकायत हो तो अजवाइन को सूंघने मात्र से कष्ट निवारक का कार्य करती है
सिर की जुऐं की समस्या है तो 10 ग्राम अजवाइन चूर्ण में 5 ग्राम फिटकरी मिलाकर, दही या छाछ में मिलाकर बालों में मलने से लीेखें तथा जुएं मर जाते हैं कान के दर्द में 10 ग्राम अजवाइन को 50 ग्राम तिल के तेल में पकाकर सहने योग्य गुनगुने तेल को 2 बूंद कान में डालने से कान का दर्द समाप्त होता हैमलेरिया ज्वर में हल्का बुखार रहने लगता है, तब अजवाइन को रात में 100 ग्राम जल में भिगों दे और सुबह गुनगुना कर जरा सा सेंधा नमक डालकर पी लें ज्वर समाप्त हाे जाता है
100 तोले पानी में अजवायन के फूल का चूर्ण मिलाकर उस घोल से धोने पर घाव, दाद, खुजली, फुंसियाँ आदि चर्मरोग नष्ट होते हैं। अजवायन वायु को नष्ट करने और बल को बढ़ाने में सहायक है। इसके तेल की मालिश से शरीर दर्द समाप्त होता है। इसका चूर्ण गरम पानी के साथ लेने से या अर्क को गुनगुना करके पीने से इसका प्रकोप शान्त होता है। इसका प्रयोग प्रसव के बाद भूख न लगने पर तथा भोजन को पचाने, वायु एवं गर्भाशय को शुद्ध करने के लिए किया जाता है।
सुनील शुक्ल उपसंपादक: सत्यम् लाइव
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